mathura vrindavan 2025:-

mathura vrindavan Holi 2025:- मथुरा और वृंदावन, भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़े प्रमुख तीर्थस्थल हैं, जो हर वर्ष लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। वर्ष 2025 में, इन स्थलों पर कई महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सव और कार्यक्रम आयोजित होने की संभावना है।
Mathura :-
mathura temple:-
mathura vrindavan Holi 2025:-मथुरा का धार्मिक महत्व:-
कृष्ण जन्मभूमि मंदिर – यह वह स्थान माना जाता है जहाँ भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था।
विश्राम घाट – यमुना नदी के किनारे स्थित यह घाट धार्मिक अनुष्ठानों और स्नान के लिए प्रसिद्ध है।
द्वारकाधीश मंदिर – यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है और अपनी भव्यता के लिए जाना जाता है।
गोवर्धन पर्वत – यह मथुरा के पास स्थित है और श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन धारण करने की कथा से जुड़ा है।
मथुरा मंदिर, जिसे श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, उत्तर प्रदेश के मथुरा शहर में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान के रूप में प्रसिद्ध है और हिंदू धर्म में इसका अत्यंत धार्मिक महत्व है।
मथुरा मंदिर का इतिहास
मथुरा को भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यही वह स्थान है जहां भगवान श्रीकृष्ण का जन्म कारागृह में हुआ था। इस मंदिर का निर्माण कई बार हुआ और नष्ट भी किया गया। वर्तमान मंदिर का निर्माण स्वतंत्रता के बाद किया गया था और यह अब श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख धार्मिक स्थल है।
मंदिर का महत्व
- धार्मिक महत्व – श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर हिंदू धर्म के सात पवित्र नगरों (सप्तपुरी) में से एक है और लाखों भक्त यहां हर वर्ष दर्शन करने आते हैं।
- श्रीकृष्ण जन्माष्टमी – जन्माष्टमी के अवसर पर मंदिर को भव्य रूप से सजाया जाता है, और बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव में भाग लेते हैं।
- पर्यटन स्थल – यह मंदिर न केवल धार्मिक स्थल है, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है।
मथुरा के अन्य प्रमुख मंदिर mathura vrindavan Holi 2025:-
- द्वारकाधीश मंदिर – मथुरा के प्रमुख मंदिरों में से एक, यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है।
- विश्राम घाट – यह वह स्थान है जहां भगवान कृष्ण ने कंस का वध करने के बाद विश्राम किया था।
- गोकुल और वृंदावन के मंदिर – मथुरा के पास स्थित ये स्थान भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं के लिए प्रसिद्ध हैं।
कैसे पहुँचे?
मथुरा भारत के प्रमुख शहरों से सड़क, रेल और हवाई मार्ग द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। निकटतम हवाई अड्डा आगरा में स्थित है, और मथुरा रेलवे स्टेशन देश के विभिन्न भागों से जुड़ा हुआ है।
निष्कर्ष:
मथुरा मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा का प्रतीक भी है। यदि आप आध्यात्मिकता और इतिहास में रुचि रखते हैं, तो यह स्थान आपके लिए अवश्य दर्शनीय है|
Mathura to vrindavan distance :-
मथुरा से वृंदावन की दूरी लगभग 10 से 12 किलोमीटर है। यह दूरी सड़क मार्ग से तय की जाती है और इसमें लगभग 20-30 मिनट का समय लगता है, यातायात और परिवहन के साधन के अनुसार समय थोड़ा भिन्न हो सकता है।
आप मथुरा से वृंदावन जाने के लिए ऑटो, टैक्सी, बस या ई-रिक्शा का उपयोग कर सकते हैं।
mathura vrindavan tourist place:-
1. श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर:-

mathura vrindavan Holi 2025:- श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर उत्तर प्रदेश के मथुरा शहर में स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है, जिसे भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान के रूप में माना जाता है। यह मंदिर भारत के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है और हर साल लाखों श्रद्धालु यहाँ दर्शन के लिए आते हैं।
मंदिर का महत्व
- यह स्थान भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान के रूप में प्रसिद्ध है, जो द्वापर युग में मथुरा में जन्मे थे।
- यह मंदिर हिंदू धर्म में एक प्रमुख तीर्थस्थल है और कृष्ण भक्तों के लिए विशेष रूप से पवित्र माना जाता है।
- जन्माष्टमी के दौरान यहाँ भव्य उत्सव मनाया जाता है, जिसमें देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं।
मंदिर की संरचना और इतिहास
- वर्तमान मंदिर का निर्माण 20वीं शताब्दी में किया गया था, लेकिन इसका इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है।
- मूल मंदिर को विभिन्न आक्रमणों के दौरान कई बार नष्ट किया गया और पुनः निर्मित किया गया।
- मंदिर परिसर में केशवदेव मंदिर भी स्थित है, जिसे श्रीकृष्ण के बालरूप को समर्पित माना जाता है।
कैसे पहुंचे? mathura vrindavan Holi 2025:-
- रेल मार्ग: मथुरा जंक्शन रेलवे स्टेशन से मंदिर लगभग 3 किमी दूर है।
- सड़क मार्ग: दिल्ली, आगरा, वृंदावन और अन्य प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।
- वायु मार्ग: नजदीकी हवाई अड्डा आगरा (लगभग 60 किमी दूर) है, जबकि दिल्ली हवाई अड्डा लगभग 150 किमी दूर है।
2. द्वारकाधीश मंदिर:-

द्वारकाधीश मंदिर, मथुरा
द्वारकाधीश मंदिर उत्तर प्रदेश के मथुरा शहर में स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है, जो भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। यह मंदिर विशेष रूप से अपनी भव्य वास्तुकला, धार्मिक महत्व और भक्ति-भावना से भरपूर माहौल के लिए जाना जाता है।
मंदिर का महत्व
- यह मंदिर 1824 ईस्वी में सेठ गोकुल दास पारीख द्वारा बनवाया गया था, जो ग्वालियर के एक अमीर व्यापारी थे।
- यह भगवान श्रीकृष्ण के “द्वारकाधीश” (यानी द्वारका के राजा) रूप को समर्पित है।
- यह मंदिर निज मंदिर और रंगमहल जैसे विभिन्न भागों में विभाजित है, जहां श्रीकृष्ण की विभिन्न लीलाओं का दर्शन होता है।
- यहाँ श्रावण माह में हिन्दू त्योहारों (झूला उत्सव, जन्माष्टमी, राधाष्टमी) के दौरान विशेष आयोजन किए जाते हैं।
मंदिर की वास्तुकला
- इस मंदिर की स्थापत्य कला बेहद आकर्षक है, जिसमें राजस्थानी और गुजराती शैली का समावेश देखा जा सकता है।
- मुख्य मंदिर संगमरमर और रंगीन पत्थरों से बना है, और इसमें नक्काशीदार स्तंभ एवं सुंदर चित्रकारी देखने को मिलती है।
- गर्भगृह में भगवान श्रीकृष्ण (द्वारकाधीश) की काले पत्थर की भव्य मूर्ति स्थापित है।
- भगवान की मूर्ति के साथ राधारानी, बलराम, सुभद्रा, और अन्य गोप-गोपियों की मूर्तियाँ भी मौजूद हैं।
दर्शन एवं पूजा का समय
- सुबह: 6:30 AM – 10:30 AM
- शाम: 4:00 PM – 7:00 PM
- मंगला आरती, श्रृंगार आरती, संध्या आरती और शयन आरती का आयोजन प्रतिदिन होता है।
कैसे पहुंचे? mathura vrindavan Holi 2025:-
- रेल मार्ग: मथुरा जंक्शन से लगभग 3 किमी की दूरी पर स्थित है।
- सड़क मार्ग: मथुरा शहर के भीतर ऑटो, टैक्सी और रिक्शा से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
- नजदीकी हवाई अड्डा: आगरा (60 किमी) और दिल्ली (150 किमी)।
3. गोवर्धन पर्वत:-

गोवर्धन पर्वत उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित एक पवित्र स्थल है, जिसे हिन्दू धर्म में अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा जाता है। इसे “गिरिराज गोवर्धन” के नाम से भी जाना जाता है और यह भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य लीलाओं से जुड़ा हुआ है।
गोवर्धन पर्वत का धार्मिक महत्व:-
- भगवान कृष्ण और गोवर्धन लीला:
श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार, जब इंद्रदेव ने गोकुलवासियों पर भारी बारिश बरसाई, तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और सभी ग्वालों व गौमाताओं को उसकी छांव में सुरक्षित रखा। इस घटना के बाद से गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाने लगी। - गोवर्धन पूजा:दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है, जिसमें भक्त गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करके भगवान कृष्ण और प्रकृति की आराधना करते हैं।
गोवर्धन पर्वत की विशेषताएँ:-
- यह पर्वत गिरिराज भगवान के रूप में पूजनीय है और इसकी पारिक्रमा (परिक्रमा मार्ग) करीब 21 किमी लंबा है।
- मान्यता है कि यह पर्वत हर साल धीरे-धीरे छोटा होता जा रहा है, क्योंकि श्रीकृष्ण ने कहा था कि यह कलियुग में धीरे-धीरे पृथ्वी में समा जाएगा।
- यहाँ गोविंद कुंड, राधाकुंड, मानसी गंगा और दानघाटी मंदिर जैसे पवित्र स्थल भी स्थित हैं।
- गोवर्धन पर्वत परिक्रमा
गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने से भक्तों को विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। इस परिक्रमा को दो भागों में किया जाता है:
- छोटी परिक्रमा (7 किमी):
इसमें मुख्य रूप से मानसी गंगा, मुकुट मुखारविंद, और दानघाटी मंदिर आते हैं। - बड़ी परिक्रमा (21 किमी):
इसमें राधाकुंड, कुसुम सरोवर, पूंछरी का लोटा और कई अन्य पवित्र स्थल आते हैं।
भक्तगण परिक्रमा को नंगे पांव या दंडवत प्रणाम करके पूरी करते हैं।
कैसे पहुंचे? mathura vrindavan Holi 2025:-
रेल मार्ग: मथुरा रेलवे स्टेशन से गोवर्धन लगभग 22 किमी दूर है।
सड़क मार्ग: मथुरा, वृंदावन और आगरा से बस, टैक्सी या ऑटो द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
नजदीकी हवाई अड्डा: आगरा (65 किमी) और दिल्ली (160 किमी)।
4. प्रेम मंदिर

प्रेम मंदिर mathura vrindavan Holi 2025:- उत्तर प्रदेश के वृंदावन में स्थित एक भव्य हिन्दू मंदिर है, जो राधा-कृष्ण और सीता-राम को समर्पित है। यह मंदिर अपनी अद्भुत संगमरमर की नक्काशी, आकर्षक रोशनी और श्रीकृष्ण की लीलाओं को दर्शाने वाली झांकियों के लिए प्रसिद्ध है।
मंदिर की विशेषताएँ
आकर्षक वास्तुकला:
- मंदिर 125 फीट ऊँचा, 190 फीट लंबा और 115 फीट चौड़ा है।
- इसमें राजस्थानी और उत्तर भारतीय स्थापत्य कला का मिश्रण देखने को मिलता है।
- दीवारों पर श्रीकृष्ण और राधारानी की लीलाओं को चित्रित किया गया है।
रात की रोशनी और झांकियाँ:
- हर शाम मंदिर को रंग-बिरंगी LED लाइटों से सजाया जाता है, जिससे यह स्वर्ग सा प्रतीत होता है।
- यहाँ कृष्ण-लीला और राम-लीला की झाँकियाँ विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र होती हैं।
भव्य फव्वारा शो:
- मंदिर परिसर में संगीतबद्ध फव्वारा शो होता है, जो भक्तों को मंत्रमुग्ध कर देता है।
बगीचे और सरोवर:
- मंदिर के चारों ओर सुंदर बगीचे और जल कुंड बनाए गए हैं, जो भक्तों को आध्यात्मिक शांति प्रदान करते हैं।
मंदिर में दर्शन और आरती का समय
- सुबह: 8:30 AM – 12:00 PM
- शाम: 4:30 PM – 8:30 PM
- संगीत फव्वारा शो: शाम 7:00 बजे से 7:30 बजे तक
कैसे पहुंचे? mathura vrindavan Holi 2025:-
- रेल मार्ग: मथुरा जंक्शन से लगभग 12 किमी दूर है।
- सड़क मार्ग: वृंदावन बस स्टैंड से केवल 2 किमी की दूरी पर है।
- नजदीकी हवाई अड्डा: आगरा (75 किमी) और दिल्ली (160 किमी)।
5. इस्कॉन मंदिर (श्रीकृष्ण बलराम मंदिर)

इस्कॉन मंदिर (श्रीकृष्ण बलराम मंदिर), वृंदावन
इस्कॉन मंदिर, जिसे श्रीकृष्ण बलराम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, उत्तर प्रदेश के वृंदावन में स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है। यह मंदिर अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (ISKCON) द्वारा स्थापित किया गया था और विश्वभर के कृष्ण भक्तों के लिए एक प्रमुख तीर्थस्थल है।
मंदिर की विशेषताएँ
भव्य वास्तुकला:
- सफेद संगमरमर से बना यह मंदिर राजस्थानी और उत्तर भारतीय स्थापत्य कला का बेहतरीन उदाहरण है।
- मंदिर के मुख्य द्वार पर सुंदर नक्काशी और शिखर देखने को मिलते हैं।
मुख्य देवता:
- श्रीकृष्ण और बलराम की भव्य मूर्तियाँ गर्भगृह में विराजमान हैं।
- राधा-श्यामसुंदर और गौर-निताई की भी सुंदर प्रतिमाएँ स्थापित हैं।
कीर्तन और हरिनाम संकीर्तन:
- इस्कॉन मंदिर में दिनभर हरिनाम संकीर्तन चलता रहता है, जिससे वातावरण भक्तिमय बना रहता है।
- भक्तों के लिए भागवत गीता और श्रीमद्भागवत कथा का नियमित प्रवचन होता है।
मंदिर में दर्शन और आरती का समय
- मंगल आरती: 4:30 AM
- शृंगार दर्शन: 7:15 AM – 11:45 AM
- राजभोग आरती: 12:30 PM
- संध्या आरती (गौर आरती): 6:30 PM
- शयन आरती: 8:30 PM
कैसे पहुंचे? mathura vrindavan Holi 2025:-
- रेल मार्ग: मथुरा जंक्शन से लगभग 12 किमी दूर स्थित है।
- सड़क मार्ग: वृंदावन बस स्टैंड से केवल 3 किमी की दूरी पर है।
- नजदीकी हवाई अड्डा: आगरा (75 किमी) और दिल्ली (160 किमी)।
6. निधिवन

निधिवन: श्रीकृष्ण की दिव्य रासलीला भूमि
निधिवन उत्तर प्रदेश के वृंदावन में स्थित एक अत्यंत रहस्यमयी और पवित्र स्थान है, जिसे भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी की रासलीला स्थली माना जाता है। यह स्थान कृष्ण भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि यहाँ हर रात भगवान श्रीकृष्ण गोपियों के साथ दिव्य रास रचाते हैं
निधिवन का रहस्य और चमत्कार
रात्रि के बाद प्रवेश वर्जित:
- ऐसा माना जाता है कि सूर्यास्त के बाद निधिवन में कोई भी व्यक्ति या जीवित प्राणी ठहर नहीं सकता।
- जो भी व्यक्ति इस नियम को तोड़ता है, वह या तो पागल हो जाता है या उसकी मृत्यु हो जाती है।
झुके हुए वृक्ष:
- यहाँ के वृक्ष सामान्य नहीं हैं—ये छोटे और झुके हुए हैं, और कहा जाता है कि ये वृक्ष रासलीला के दौरान गोपियाँ बन जाते हैं।
- सुबह होते ही ये फिर से वृक्ष का रूप धारण कर लेते हैं।
रंग महल का रहस्य:
- रंग महल में भगवान श्रीकृष्ण राधारानी के साथ विश्राम करते हैं।
- हर रात यहाँ श्रृंगार की सामग्री, जल से भरा लोटा और दाँतुन रखी जाती है, और सुबह ये सभी चीज़ें अस्त-व्यस्त मिलती हैं, मानो किसी ने उनका उपयोग किया हो।
कैसे पहुंचे? mathura vrindavan Holi 2025:-
- रेल मार्ग: मथुरा रेलवे स्टेशन से वृंदावन 12 किमी दूर है।
- सड़क मार्ग: वृंदावन बस स्टैंड से निधिवन मात्र 2 किमी की दूरी पर है।
- नजदीकी हवाई अड्डा: आगरा (75 किमी) और दिल्ली (160 किमी)।
holi in vrindavan 2025 :-

वृंदावन में होली का उत्सव 3 फरवरी 2025 से शुरू होकर 40 दिनों तक चलेगा। इस दौरान विभिन्न प्रकार के होली कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिनमें लड्डूमार होली, लट्ठमार होली, फूलों की होली, और रंगभरी होली शामिल हैं। मुख्य होली उत्सव 14 मार्च 2025 को मनाया जाएगा, जबकि होलिका दहन 13 मार्च 2025 को होगा।
holi dates in vrindavan 2025 :-
7 मार्च 2025 (शुक्रवार): लड्डू होली, श्रीजी मंदिर, बरसाना में।
8 मार्च 2025 (शनिवार): लट्ठमार होली, बरसाना में।
9 मार्च 2025 (रविवार): लट्ठमार होली, नंदगांव में।
10 मार्च 2025 (सोमवार): फूलों की होली, बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन में।
11 मार्च 2025 (मंगलवार): गोकुल होली।
12 मार्च 2025 (बुधवार): विधवाओं की होली, गुप्तार घाट, वृंदावन में।
13 मार्च 2025 (गुरुवार): होलिका दहन।
14 मार्च 2025 (शुक्रवार): रंगवाली होली, वृंदावन और मथुरा में।
15 मार्च 2025 (शनिवार): हुरंगा होली, दौजी मंदिर, बलदेव में।
वृंदावन में होली का त्योहार 2025 में निम्नलिखित तिथियों पर मनाया जाएगा:
होलिका दहन: 13 मार्च 2025 (गुरुवार)
रंग वाली होली: 14 मार्च 2025 (शुक्रवार)
होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त 13 मार्च को रात 10:30 बजे के बाद है, क्योंकि भद्रा काल रात 10:30 बजे तक रहेगा।
वृंदावन में होली का उत्सव विशेष रूप से प्रसिद्ध है, जहां बांके बिहारी मंदिर की ‘फूलों वाली होली’ और अन्य रंगारंग कार्यक्रम आयोजित होते हैं।
होली के दौरान वृंदावन की यात्रा की योजना बनाते समय, स्थानीय परंपराओं और कार्यक्रमों की जानकारी पहले से प्राप्त करना उचित होगा, ताकि आप इस पावन अवसर का पूर्ण आनंद ले सकें।
holi schedule in vrindavan 2025:-
mathura vrindavan Holi 2025:- वृंदावन में होली का उत्सव 2025 में 7 मार्च से 14 मार्च तक मनाया जाएगा। इस दौरान विभिन्न अनूठे कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे:
7 मार्च 2025 (शुक्रवार): लड्डू होली, बरसाना
राधा रानी मंदिर में लड्डुओं की बौछार के साथ होली का आरंभ।8 मार्च 2025 (शनिवार): लठमार होली, बरसाना
महिलाएं पुरुषों को लाठियों से प्रेमपूर्वक परिहास करती हैं।9 मार्च 2025 (रविवार): लठमार होली, नंदगांव
नंदगांव में रंगों और परंपराओं के साथ होली का उत्सव।10 मार्च 2025 (सोमवार): फूलों की होली, वृंदावन
बांके बिहारी मंदिर में फूलों की होली का आयोजन।11 मार्च 2025 (मंगलवार): गोकुल होली
गोकुल में कृष्ण की बाल लीलाओं के साथ होली का उत्सव।13 मार्च 2025 (गुरुवार): होलिका दहन
असत्य पर सत्य की विजय के प्रतीक रूप में होलिका दहन।14 मार्च 2025 (शुक्रवार): धुलंडी होली
रंगों के साथ मुख्य होली का उत्सव।इन कार्यक्रमों के दौरान, वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर, बरसाना और नंदगांव जैसे स्थानों पर होली की विशेष परंपराएं देखने को मिलती हैं।
होली के दौरान वृंदावन की यात्रा की योजना बनाते समय, अग्रिम में आवास बुक करना, आरामदायक और हल्के रंग के कपड़े पहनना, और स्थानीय रीति-रिवाजों का सम्मान करना उचित होगा।
वृंदावन में होली का अनुभव आध्यात्मिकता, संस्कृति और आनंद का अनूठा मिश्रण है, जो जीवनभर की स्मृतियों में शामिल होगा।
Vrindavan ki 5 prasiddh holi:
mathura vrindavan Holi 2025:- वृंदावन में होली का उत्सव विशेष रूप से प्रसिद्ध है, जहां विभिन्न प्रकार की होली मनाई जाती है। 2025 में, आप निम्नलिखित होली उत्सवों का अनुभव कर सकते हैं:
1. लठमार होली: बरसाना और नंदगांव में मनाई जाने वाली इस होली में महिलाएं पुरुषों को लाठियों से मारती हैं, जबकि पुरुष ढाल से बचाव करते हैं। यह परंपरा राधा-कृष्ण की लीलाओं से जुड़ी है।
2. फूलों की होली: वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में होली के एक दिन पहले फूलों की होली खेली जाती है, जिसमें भक्त एक-दूसरे पर फूलों की वर्षा करते हैं।
3. रंगभरी एकादशी: होली से पहले आने वाली एकादशी को रंगभरी एकादशी कहते हैं, इस दिन भगवान को रंग अर्पित किए जाते हैं और भक्तों के बीच रंग खेला जाता है।
4. धुलेंडी: होली के अगले दिन, जिसे धुलेंडी कहते हैं, लोग रंग, गुलाल और पानी से होली खेलते हैं।
5. होलिका दहन: होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
वृंदावन में होली का उत्सव लगभग एक सप्ताह तक चलता है, जिसमें विभिन्न कार्यक्रम और परंपराएं शामिल होती हैं।
Delhi to mathura distance:-
दिल्ली से मथुरा की दूरी लगभग 160 से 180 किलोमीटर है, जो मार्ग के अनुसार थोड़ी बदल सकती है।
यात्रा के प्रमुख साधन:
1. सड़क मार्ग: कार या बस से यात्रा करने में लगभग 3 से 4 घंटे लगते हैं, ट्रैफिक के अनुसार समय थोड़ा कम या ज्यादा हो सकता है।
2. रेल मार्ग: दिल्ली से मथुरा के लिए कई ट्रेनें उपलब्ध हैं, जो 1.5 से 2.5 घंटे में पहुंचाती हैं।
3. हवाई मार्ग: मथुरा का कोई हवाई अड्डा नहीं है, सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा आगरा (करीब 50 किमी दूर) या दिल्ली में है।
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